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Hindi Grammar Sangya Notes PDF

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Hindi Grammar Sangya Notes PDF

 

हिन्दी व्याकरण संज्ञा (Hindi Grammar Sangya Notes PDF) : दोस्तो आज इस पोस्ट मे हिन्दी व्याकरण (Hindi Grammar) के संज्ञा टॉपिक का विस्तारपूर्वक अध्ययन करेंगे । Hindi Grammar Sangya Notes PDF ( हिन्दी व्याकरण संज्ञा ) पोस्ट REET 2020, Patwari Bharti 2020, Gramsevak 2020, LDC, RPSC, RBSE REET, School Lecturer, Sr. Teacher, TGT PGT Teacher, 3rd Grade Teacher आदि परीक्षाओ के लिए महत्त्वपूर्ण है । अगर पोस्ट पसंद आए तो अपने दोस्तो के साथ शेयर जरूर करे ।

हिन्दी व्याकरण संज्ञा (Hindi Vyakaran Sangya PDF)

संज्ञा – Sangya (Noun) :  साधारण शब्दों में नाम को संज्ञा कहते हैं । जैसे :- राम ने आगरा में सुंदर ताजमहल देखा । इस वाक्य में हम पाते हैं, कि राम एक व्यक्ति का नाम है, आगरा स्थान का नाम है, ताजमहल एक वस्तु का नाम है, तथा ‘सुंदर’ एक गुण का नाम है । इस प्रकार यह चारों क्रमशः व्यक्ति, स्थान, वस्तु, और भाव के नाम हैं अतः यह चारों संज्ञाएं हुई । संज्ञा की परिभाषा :- किसी प्राणी, स्थान, वस्तु, तथा भाव के नाम का बोध कराने वाले शब्द संज्ञा कहलाते हैं। संज्ञा के भेद :- संज्ञा के मुख्य रूप से तीन भेद हैं –

  1. व्यक्तिवाचक संज्ञा
  2. जातिवाचक संज्ञा
  3. भाववाचक संज्ञा

1. व्यक्तिवाचक संज्ञा :- जिस संज्ञा शब्द में एक ही व्यक्ति, वस्तु या स्थान के नाम का बोध हो उसे “व्यक्तिवाचक संज्ञा” कहते हैं । व्यक्तिवाचक संज्ञा, ‘विशेष’ का बोध कराती हैं । ‘सामान्य’ का नहीं प्राय: व्यक्तिवाचक संज्ञा में व्यक्तियों, देशों, शहरों, नदियों, पर्वतों, त्योहारों, पुस्तकों, दिशाओं, समाचारपत्रों, दिनों और महीनों आदि के नाम आते हैं

2. जातिवाचक संज्ञा :- जिस संज्ञा शब्द से किसी जाति के संपूर्ण प्राणियों, वस्तुओं, स्थानों आदि का बोध होता हो उसे “जातिवाचक संज्ञा” कहते हैं ।गाय, आदमी, पुस्तक, नदी आदि शब्द अपनी पूरी जाति का बोध कराते हैं, इसलिए जातिवाचक संज्ञा कहलाते हैं प्राय: जातिवाचक संज्ञा में वस्तुओं, पशु-पक्षियों, फल-फूल, धातुओं, व्यवसाय संबंधी व्यक्तियों, नगर, शहर, गांव, परिवार, भीड़ जैसे समूहवाची शब्दों के नाम आते हैं

3. भाववाचक संज्ञा :- जिस संज्ञा शब्द से प्राणियों या वस्तुओं के गुण, धर्म दशा, कार्य, मनोभाव आदि का बोध हो उसे “भाववाचक संज्ञा” कहते हैं । प्राय: गुण, दोष, अवस्था, व्यापार, अमूर्त भाव तथा क्रिया के मूल रुप ‘भाववाचक संज्ञा’ के अंतर्गत आते हैं। भाववाचक संज्ञा की रचना मुख्य पांच प्रकार के शब्दों से होती है :-

  1. जातिवाचक संज्ञा
  2. सर्वनाम से
  3. विशेषण से
  4. क्रिया से
  5. अव्यय से

(1) जातिवाचक संज्ञा :-

जातिवाचक संज्ञा भाववाचक संज्ञा
दास दासता
पंडित पांडित्य
बंधु बंधुत्व और बंधुता
क्षत्रिय क्षत्रियत्व
पुरुष पुरुषत्व
प्रभु प्रभुता
पशु पशुता, पशुत्व
ब्राह्मण ब्राह्मणत्व
मित्र मित्रता
गुरु गौरव

(2) सर्वनाम :-

सर्वनाम भाववाचक संज्ञा
मम ममता/ममत्व
स्व स्वत्व
सर्व सर्वस्व
निज निजत्व
अपना अपनापन/अपनत्व
एक एकता

(3) विशेषण :-

विशेषण भाववाचक संज्ञा
मीठा मिठास
चतुर चातुर्य, चतुराई
मधुर माधुर्य मधुरता
सुंदर सौंदर्य, सुंदरता

(4) क्रिया :-

क्रिया भाववाचक संज्ञा
खेलना खेल
थकना थकान
लिखना लेख
हँसना हँसी
चलना चाल
उड़ना उडान
चढ़ना चढ़ाई
खोदना खोदना

(5) अव्यय :-

अव्यय भाववाचक संज्ञा
दूर दूरी
ऊपर ऊपरी
धिक् धिक्कार
शीघ्र शीघ्रता
मना मनाही
निकट निकटता
नीचे निचाई
समीप सामीप्य

कुछ विद्वान अंग्रेज़ी व्याकरण के प्रभाव के कारण संज्ञा शब्द के दो भेद और बतलाते हैं :- 1. समूहवाचक संज्ञा। 2. द्रव्यवाचक संज्ञा।

1. समूहवाचक संज्ञा :- जिन संज्ञा शब्दों से व्यक्तियों, वस्तुओं आदि के समूह का बोध हो उन्हें समूहवाचक संज्ञा कहते हैं।जैसे :- सभा, कक्षा, सेना, भीड़, पुस्तकालय, दल, मानव, पुसतक आदि। 2. द्रव्यवाचक संज्ञा :- जिन संज्ञा-शब्दों से किसी धातु, द्रव्य आदि पदार्थों का बोध हो उन्हें द्रव्यवाचक संज्ञा कहते हैं।जैसे :- घी, तेल, सोना, चाँदी, पीतल, चावल, गेहूँ, कोयला, लोहा आदि।

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