Rajasthan Old Pension Scheme
राजस्थान मे पुरानी पेंशन स्कीम की बहाली । जानिए अब आगे क्या होगा । (Rajasthan Old Pension Scheme) : राजस्थान के मुख्यमंत्री महोदय ने आज बजट भाषण मे राज्य के कर्मचारियों को एक बड़ा तोहफा दिया । राज्य मे 1 जनवरी 2004 और उसके बाद नियुक्त सभी कर्मचारियों को पुरानी पेंशन का लाभ दिए जाने की घोषणा की । जिसकी मांग राज्य के कर्मचारी लंबे समय से कर रहे थे । राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने बड़ी घोषणा की है राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने पुरानी पेंशन योजना लागू कर दी है ।
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने बजट भाषण 2022 में घोषणा करते हुए नवीन पेंशन स्कीम के कारण अभी भी असुरक्षा की स्थिति है । इसके कारण 1 जनवरी 2004 और उसके बाद नियुक्त कर्मिय को पहले की तरह पेंशन दी जाएगी । कर्मचारियों को यह अशोक गहलोत की तरफ से बड़ा तोहफा दिया गया है । सरकार ने घोषणा की है कि 1 जनवरी 2020 के बाद नियुक्त किए गए सभी कर्मचारियों को पूर्ण पेंशन दी जाएगी ।
आज की इस पोस्ट मे हम आपको ओपीएस (OPS) से संबंधित जानकारी प्रदान कर रहे है । पुरानी पेंशन नीति लागू होने के बाद अब आगे क्या होगा । कार्मिक के 10% व सरकार के 10% अंशदान का क्या होगा । क्या राज्य सरकार बिना केन्द्र सरकार की सहमति के OPS लागू कर सकती है ? 1 अप्रैल 2022 से कोनसी कटौती कितनी होगी ? सम्पूर्ण जानकारी आपको इस पेज पर मिल जाएगी । अगर जानकारी अच्छी लगे तो शेयर जरूर करे ।
What is the Old Pension Scheme?
सबसे पहले हम बात करते है पुरानी पेंशन योजना क्या है?
पुरानी पेंशन योजना (ओपीएस) वह पेंशन योजना है जो एनपीएस की शुरुआत से पहले चलती थी। इस योजना के तहत, सरकार पेंशन भुगतान के लिए पूरा योगदान लेती है। कर्मचारी को अपने ओपीएस में कुछ भी भुगतान करने की आवश्यकता नहीं है। यह योजना केवल सरकारी कर्मचारियों के लिए उपलब्ध थी। सेवानिवृत्ति के बाद, पेंशन भुगतान कर्मचारी के पिछले कामकाजी महीने के वेतन और कुछ अन्य भत्तों का योग है। तो, यह योजना सरकारी कर्मचारियों के लिए बहुत सुविधाजनक है।
What is the National Pension Scheme?
राष्ट्रीय पेंशन योजना / प्रणाली (एनपीएस) जनवरी 2004 में नई पेंशन प्रणाली के रूप में शुरू की गई थी। यह योजना आपके सेवानिवृत्त होने के बाद आपको मासिक पेंशन प्रदान करने के लिए थी। यह सरकारी, निजी क्षेत्र के कर्मचारियों और स्व-नियोजित व्यक्तियों सहित सभी भारतीय नागरिकों के लिए भी उपलब्ध है। एनआरआई भी इस योजना को अपना सकते हैं।
इस योजना में आपको हर महीने 10% योगदान करने की आवश्यकता है और सरकार उसी 10% का योगदान देगी। निवेश को कुछ परिसंपत्ति वर्गों में रखा जाएगा और अंत में, एक कोष उत्पन्न होगा। इस कोष का 60% सेवानिवृत्ति के बाद निकाला जा सकता है और शेष 40% का उपयोग वार्षिकी खरीदने के लिए किया जाता है। यह वार्षिकी आपको मासिक पेंशन भुगतान के साथ सेवा प्रदान करती है।
क्या राज्य सरकार बिना केंद्र की सहमति के पुरानी पेंशन लागू कर सकते हैं ?
संविधान की सातवीं अनुसूची के अंतर्गत राज्य सूची के विषयों में 42वें स्थान पर राज्य की पेंशनें अर्थात राज्य द्वारा या राज्य की संचित निधि में से संदाय पेंशन का उल्लेख किया गया है। इसका अर्थ यह हुआ कि राज्य द्वारा अपने कार्मिकों को पेंशन देना राज्य सूची का अपना विषय है जिसमें केंद्र सरकार कोई हस्तक्षेप नही कर सकती है। इसलिए 22 दिसम्बर 2003 को जारी नई पेंशन प्रणाली हेतु केंद्र सरकार के संकल्प में यह प्रावधान किया गया था कि राज्य के लिए यह वैकल्पिक व्यवस्था होगी कि वे जब चाहे नई योजना को अपना सकते हैं।
इसके अतिरिक्त नई पेंशन योजना से संबंधित किसी भी अधिसूचना में में कहीं भी राज्यो के लिए इसे लागू करना अनिवार्य नही किया गया है। यही कारण है कि केंद्र सरकार द्वारा इस योजना को 01 जनवरी 2004 से अपने कर्मियों पर अनिवार्य रूप से लागू करने के बाद भी अधिकांश राज्यों में पुरानी पेंशन योजना ही लागू रही। नागालैंड, मिजोरम और मेघालय में पुरानी पेंशन योजना जहां 2010 तक लागू रही वहीं छतीसगढ़ में 2012 तक और केरल में 2013 तक ।
पश्चिम बंगाल में पुरनी पेंशन योजना आज भी लागू है। इसलिए यह निःसंकोच कहा जा सकता है कि कोई भो राज्य सरकार अपने कर्मचारियों के लिए पुरानी पेंशन योजना लागू करने के लिए स्वतंत्र है। वह केंद्र सरकार की सहमति या असहमति के बिना भी इसे लागू कर सकती है क्योंकि पेंशन पर होने वाला खर्च उसे राज्य की संचित निधि से देना होगा।
क्या ओपीएस एनपीएस से बेहतर है?
पुरानी पेंशन योजना (ओपीएस) के स्थान पर जनवरी 2004 में राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली शुरू की गई थी। ओपीएस प्रणाली में सरकार प्रत्येक सरकारी कर्मचारी को उनकी सेवानिवृत्ति के बाद पेंशन भुगतान सौंपती है। इस मामले में पेंशन की पूरी राशि सरकार की ओर से दी गई और कर्मचारी की ओर से कोई अंशदान नहीं किया गया. अब, यह सरकार के लिए संभालना थोड़ा अधिक होता जा रहा था।
वहीं एनपीएस में 10 फीसदी योगदान कर्मचारी ने और वही 10 फीसदी सरकार ने दिया। साथ ही, एनपीएस योजना में किया गया निवेश सरकारी प्रतिभूतियों सहित विभिन्न प्रकार की संपत्तियों में जाता है। इसलिए, सरकार यहां फायदे की स्थिति में है।
लेकिन, कर्मचारियों या ग्राहकों के लिए स्थिति उतनी खुशनुमा नहीं है। सरकारी कर्मचारियों को पहले उनके पिछले महीने के वेतन का आधा और डीए उनकी मासिक पेंशन के रूप में मिलता था। एनपीएस के मामले में ऐसा नहीं होना चाहिए। अक्सर, उन्हें अपने वेतन के आधे से भी कम वेतन मिलता था। जबकि उन्हें इससे कहीं अधिक प्राप्त भी हो सकता है।
बात यह है कि एनपीएस में आपकी पेंशन की गारंटी नहीं होती है। मान लीजिए कि बाजार से जुड़े उपकरणों का प्रदर्शन जिसमें आपका एनपीएस निवेश किया गया है, गिरावट आई है। तब प्राप्त रिटर्न कम होगा।
यह वही है जो बहुतों को समस्याग्रस्त लग रहा है। वहीं एनपीएस योजना निजी क्षेत्र के कर्मचारियों के लिए काफी फायदेमंद साबित हुई है। इससे पहले, उनके पास मासिक पेंशन प्राप्त करने के लिए ऐसा कोई स्रोत नहीं था और उन्हें पूरी तरह से अपनी बचत पर निर्भर रहना पड़ता था।
विचार करने वाली एक और बात यह है कि इक्विटी से जुड़े उपकरण लंबे समय में फायदेमंद साबित होते हैं। अंत में, एनपीएस निवेश आपको अपने करों पर बहुत बचत करने में मदद करता है।
कार्मिक के 10% व सरकार के 10% अंशदान का क्या होगा ?
राज्य सरकार के कार्मिक जो 1 जनवरी 2004 या उसके बाद से एनपीएस योजना मे शामिल है । कार्मिक के एनपीएस खाते मे प्रतिमाह 10 प्रतिशत योगदान कार्मिक का व 10 प्रतिशत योगदान सरकार का होता है । लेकिन ओपीएस मे कार्मिक का अपनी तरफ से कोई अंशदान जमा नहीं होता था । ऐसे राजस्थान मे ओपीएस लागू होने के बाद सबसे बड़ा सवाल कि कार्मिक का एनपीएस मे जमा 10 प्रतिशत अंशदान का क्या होगा ? कार्मिक के एनपीएस मे जमा 10 प्रतिशत अंशदान कार्मिक के जीपीएफ खाते मे समायोजित कर दिया जाएगा । बाकी सरकार द्वारा जमा 10 प्रतिशत अंशदान ओपीएस मे जमा रहेगा ।
1 अप्रैल 2022 से ओपीएस कटौती कितनी होगी ?
राजस्थान मे ओपीएस लागू होने के बाद अगले वित्तीय वर्ष मे यानि 1 अप्रैल 2022 से अंशदान जमा होना प्रारंभ हो जाएगी । लेकिन ये अंशदान कितनी होगा । ओपीएस कटौती एनपीएस कटौती की तरह फिक्स नहीं है । इसमे अलग अलग पे मेट्रिक्स के अनुसार अलग अलग दर तय की गई है । नीचे टेबल मे दी गई दरों के अनुसार कार्मिक का अंशदान जमा होगा।
OPS Rates (Old Pension Scheme) | |
वेतन (पे मेट्रिक्स लेवल के अनुसार ) | अंशदान की दरें (प्रभावी दिनांक 01.03.2018) |
MDSmartClasses.com | |
23100/- | 1450/- |
23101/- to 28500/- | 1625/- |
28501/- to 38500/- | 2100/- |
38501/- to 51500/- | 2850/- |
51501/- to 62000/- | 3575/- |
62001/- to 72000/- | 4200/- |
72001/- to 80000/- | 4800/- |
80001/- to 116000/- | 6150/- |
116001/- to 167000/- | 8900/- |
167001/- to Above | 10500/- |
ये दरें 1 मार्च 2018 से प्रभावी है । लेकिन इन दरों मे बदलाव करने का अधिकार राज्य सरकार पर है । ऐसे मे राज्य सरकार जल्द ही नई दरों के बारे मे घोषणा करेगा । राज्य सरकार घोषित नई दरों के अनुसार ही अंशदान जमा होगा ।
ओपीएस (पुरानी पेंशन स्कीम) के बारे मे ऊपर बताई गई जानकारी अच्छी लगी हो तो इस पोस्ट को ज्यादा से ज्यादा शेयर जरूर करें ताकि सभी कार्मिक ओपीएस के बारे मे विस्तार से जानकारी प्राप्त कर सके । धन्यवाद ।
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